वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में संसद में वित्त वर्ष 2024-25 का केंद्रीय बजट पेश किया। इस बजट में कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए कुछ सकारात्मक पहलुओं के साथ-साथ कुछ निराशाजनक बिंदु भी रहे। आइए इस बजट के प्रमुख बिंदुओं पर एक नज़र डालें।
रक्षा पेंशन में वृद्धि
बजट में रक्षा पेंशन के लिए 1,41,205 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.17 प्रतिशत अधिक है। यह राशि लगभग 32 लाख पेंशनभोगियों की मासिक पेंशन पर खर्च की जाएगी। इससे पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।
पूर्व-सैनिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं
सरकार ने भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ECHS) के लिए 6,968 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो पिछले वर्ष से 28 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि पूर्व-सैनिकों और उनके आश्रितों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगी।
कर्मचारियों के लिए टैक्स राहत
नई कर व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, पेंशनभोगियों के लिए पारिवारिक पेंशन में छूट की सीमा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई है। इन बदलावों से लगभग 4 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ होने की उम्मीद है।
नई कर दर संरचना
बजट में नई कर व्यवस्था के तहत टैक्स दरों में संशोधन किया गया है। 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा, जबकि 3-7 लाख रुपये की आय पर 5%, 7-10 लाख रुपये पर 10%, 10-12 लाख रुपये पर 15%, 12-15 लाख रुपये पर 20%, और 15 लाख रुपये से अधिक आय पर 30% कर लगेगा। इससे कर्मचारियों को आयकर में 17,500 रुपये तक की बचत हो सकती है।
अपूर्ण मांगें और निराशाएं
हालांकि, कई महत्वपूर्ण मांगें इस बजट में पूरी नहीं हुईं। 18 महीने के एरियर, पुरानी पेंशन की बहाली, और आठवें वेतन आयोग के गठन जैसी प्रमुख मांगों पर कोई घोषणा नहीं की गई। इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनभोगियों के लिए रेलवे किराये में छूट की बहाली जैसी मांगें भी अनसुनी रह गईं।
केंद्रीय बजट 2024-25 कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए मिश्रित परिणाम लेकर आया है। जहां एक ओर कर राहत और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार जैसे सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, वहीं दूसरी ओर कई महत्वपूर्ण मांगें अभी भी अपूर्ण हैं। यह बजट कुछ वर्गों के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन कई लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा है। आने वाले समय में सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह इन अपूर्ण मांगों पर भी ध्यान दे और कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों के हितों का पूरा ध्यान रखे।
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